दिनेश शाक्य
देश के सबसे अधिक महत्वपूर्ण दिल्ली हावडा रेलमार्ग पर इन दिनो रेल यात्रियो की जान मुश्किल मे फंसी हुई नजर आ रही है रेल यात्रियो की जान मुश्किल मे फंसने की वजह मानी जा रही इस रेलवे मार्ग पर आये दिन रेल पटरियो का टूटना। लगातार टूट रही रेल पटरियो को लेकर अब रेल यात्रियो को रेल हादसो का खतरा सताने लगा है।
इटावा मे रेल पटरियो के टूटने के वाक्ये थमने का नाम नही ले रहे है। इटावा मे बलरई से लेकर साम्हो तक रेलमार्ग सबसे अधिक खतरे वाला माना जा रहा है क्यो कि सर्दी का मौसम अभी सही से शुरू भी नही हुआ और रेल पटरिया टूटना शुरू हो गयी है साल 2010 मे डाउन लाइन की करीब 60 से अधिक बार रेल पटरिया कई स्थानो पर टूटी थी। उसके बाद रेल विभाग ने प्रभावित समझे जाने वाली रेल पटरिया को बदल दिया था लेकिन इस बार आया है अप लाइन की रेल पटरियो पर कहर ।
रेलवे की तरफ से बताया जा रहा है कि इन पटरियो की मियाद 12 साल के करीब और 800 मिलियन जीएमटी तक का भार ढोने की होती है लेकिन यह पटरिया तो उससे भी अधिक भार ढो चुकी है।
इटावा के कर्मक्षेत्र पोस्ट ग्रेजुएट कालेज के फिजिक्स के रीडर डा0सतेंद्र कुमार सिंह का मानना है कि रेलवे ठेके प्रथा के तहत काम कर रहा है हो सकता है कि जो रेल पटरियो को पहले बिछाया गया रहा होगा उसकी क्वालिटी मानक के अनुरूप सही ना रही हो।
फतेहपुर मे कालका मेल हादसे के बाद कई यात्री रेल गाडियो के अलावा मालगाडिया दुर्घटनाग्रस्त हुई। इन हादसो के पीछे सबसे अहम बिंदु रेल पटरियो का या तो कमजोर होना या फिर क्षतिग्रस्त होना माना गया। खराब रेल पटरियो को लेकर रेलवे विभाग को काफी समय से चेताया जाता रहा है उसके बाद रेल विभाग ने खराब रेल पटरियो को दुरूस्त कराने के लिये रेल ग्रेडिंग मशीन को अमरीका से मंगवाया एक ऐसी ही मशीन देश से सबसे अहम माने जाने वाले रेलमार्ग पर दिल्ली हावडा पर कमजोर और क्षतिग्रस्त रेलपटरियो को दुरूस्त करवा दिया गया लेकिन अभी भी रेल पटरियो को टूटने से रोका नही जा सका है।
वैसे तो रेल पटरियो को बहुत मजबूत माना जाता है लेकिन जब कोई रेल गाडी हादसे का शिकार होती है तो रेल पटरी ताश के पत्तो की भांति बिखर जाती है।
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर मे हुये कालका मेल हादसे के बाद भी रेल अमले की जांच मे यह बात सामने आई की रेल हादसा का कारण रेल पटरी का पहले से टूटा होना पाया गया उसके बाद इसी रेलवे रूट पर कई रेल हादसे पेश आये। 27 जुलाई को इटावा मे सराय भूपत के पास पैसेंजर रेल गाडी के पलटने को लेकर रेल पटरी ही क्षतिग्रस्त होना माना गया। पहले से ही रेल पटरियो के टूटने को लेकर मंथन मे जुटे रेल अमले ने आनन फानन मे अमरीकन रेल ग्रेडिंग मशीन को मंगवा कर कमजोर पटरियो को खोजने का काम शुरू कर दिया है।
रेलवे अफसरो के अनुसार फिलहाल अभी देश मे सिर्फ दो ही ऐसी मशीन आई है जो कमजोर रेल पटरियो को खोजने का काम कर रही है। जिनमे एक देश की सबसे अहम रेलवे रूट दिल्ली हावडा पर कमजोर पटरियो को खोज रही है। इस मशीन की खासियत यह है यह मशीन पूरी की पूरी कम्प्यूटरीकृत है जिसमे सब कुछ आन स्क्रीन ही होता है। इटावा और इटावा के आसपास रेल पटरियो को दुरूस्त करने का काम करने मे लगी हुई यह मशीन दिल्ली हावडा रेल मार्ग पर अब तक करीब 700 किलोमीटर की दूरी तय कर चुकी है। इस मशीन मे आगे और पीछे कई कैमरे लगे हुये है। यह मशीन लुधियाना से हावडा तक की रेलवे पटरियो को जांचने का काम कर चुकी है।
बताते चले कि इटावा मे करीब 60 किलोमीटर के दायरे मे सर्दी के मौसम से लेकर अब तक करीब 100 से अधिक जगह पर रेल पटरियो को टूटने के मामले सामने आ चुके है जिसके बाद से लगातार रेल पटरियो को बदलने की मांग कई बार होती रही है।
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