शनिवार, 23 अगस्त 2014

निराश किसान जान देने पर अमादा !

दिनेश शाक्य
इटावा । मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट लखनऊ आगरा एक्सप्रेस वे के निर्माण के लिए किसानो की जमीनो को औने पौने दामो मे लेने के विरोध मे किसान सडको पर उतरने लगा है। खुद मुख्यमंत्री के जिले इटावा मे किसानो के इस विरोध कदम से सरकार की योजना के भलीभूति होने मे शक होने लगा है। सरकार की बेरूखी से खफा किसान प्रशासन की सख्ती से अपने आपको हताश और निराश मान कर अब खुदकुशी करने की चेतावनी देने लगा है।
किसान हितैषी होने का दावा करने वाली उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे ग्रीन फील्ड परियोजना के लिए किसानो की कौडियो के भाव जमीन लिए जाने से खफा मुख्यमंत्री के जिले इटावा के किसानो के व्यापक विरोध के कारण इस परियोजना पर संकट के बादल छाते हुए दिखलाई दे रहे है। इस परियोजना के तहत करीब 3000 किसान अकेले इटावा मे ही प्रभावित हो रहे है। किसानो ने भेदभाव से दुखी हो कर ऐलान कर दिया है कि अगर उनको मुख्यमंत्री के गांव के समकक्ष जमीन की दरे नही मिलती है तो प्रभावित किसान रोजी रोटी की तलाश मे अपनी जान दे दे। प्रभावित होने वाले किसानो ने किसान सभा के आवाहन पर आज किसान प्रतिरोध सभा मे भाग ले कर यह ऐलान किया है।
उत्तर प्रदेश किसान सभा के बैनर तले दोपहर पांच सैकडा से अधिक किसान प्रतिनिधियो ने इटावा मुख्यालय पर जिलाधिकारी डा.नितिन बंसल से मुलाकात करके एक्सप्रेस वे की गई गडबडियो का ज्रिक करते हुए अपनी वेदना बयान की। किसान नेता डी.पी. सिंह का कहना है कि यह प्रतिरोध सभा किसानो की हो रही है अन्यायपूर्ण जमीन अधिग्रहण के विरोध मे हो रही है। हमे भरोसा है कि हमारी मांग हर हाल पूरी होगी किसानो की मांगे जायज है लेकिन सरकार किसी भी सूरत मे मानने को तैयार नही है। उनका कहना है कि किसानो के साथ भेदभाव का यह कौन सा तरीका है कि एक्सप्रेस वे की जमीन को लेने के लिए जो दरे आंकी गई है वो काफी कम है जब कि मुख्यमंत्री के गांव सैफई के किसानो की दरे सामान्य किसानो के मुकाबले आठ गुना अधिक है। बताते चले कि एक्सप्रेस वे के लिए किसानो की जमीन अधिकतम 21 लाख रूपये प्रति हैक्टेयर और न्यूनतम 8 लाख रूपये प्रति हैक्टेयर से ली जा रही है।
बनी हरदू गांव के किसान रणवीर सिंह का कहना है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गांव मे किसानो को जितना मुआवजा  दिया जा रहा है उससे बहुत कम दर पर हम लोगो को मुआवजा दिया है जिससे हमारे सामने रोजीरोटी का संकट आ खडा होने वाला है। हम अपनी जमीन बचाने के लिए और जमीन का रेट सही कराने के लिए प्रदर्शन कर रहे है हमारे पास 30 बीधा जमीन है लेकिन सरकार की मंशा से बच नही रही है अगर जमीन बची नही तो हमारे सामने मरने के अलावा कोई दूसरा चारा नही है।
अखिलेश सरकार ने किसानो की जमीन को एक्सप्रेस वे के लिए जो दरे लागू की है उसमे व्यापक असमानता देखी जा रही है इसी कारण किसानो की ओर से विरोध शुरू कर दिया गया है। उसे देखने के बाद इस परियोजना पर ग्रहण लगने के संकेत मिलते हुए दिख रहे है। जमीन अधिग्रहण की प्रकिया अपनाये जाने से पहले ही इस योजना का व्यापक विरोध शुरू हो गया  है। किसानो के गुस्से और सरकार की ओर से निर्धारित की गई घनराशि कम मान करके किसान और उनके परिजनो ने जमीन का अधिग्रहण नही करने दे रहे है इसी कारण प्रशासन हताश हो चला है। ऐसे में यह प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पा रहा है। इटावा के सैकडो किसान इतने गुस्से मे है कि मनमाफिक मुआवजा ना मिलने के दशा मे उन्होने साफ साफ ऐलान कर दिया है कि किसान अपने अपने परिवार के साथ जान देकर इतिश्री कर लेगे।
सैफई तहसील क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण किए जाने पर सवा करोड़ प्रति हेक्टयर की दर से मुआवजा दिया जा रहा है जबकि ताखा तहसील क्षेत्र के किसानों को महज 11 लाख रुपये प्रति हेक्टयर सर्किल रेट निर्धारित किया है,जो अन्याय है। ताखा तहसील के गांव खरगुआ, दींग, रमपुरा, बड़हा, कौआ, भाईपुरा समेत एक दर्जन मौजा की भूमि ली जा रही है। ताखा ही नहीं अपितु सैफई तहसील के गांव लाड़मपुरा, कैशोंपुर बनी, सीपुरा, टिमरूआ, नगला अजीत तथा नगला हीरा के किसानों के साथ भी अन्याय किया जा रहा है। किसान नाथूराम ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के बाद हम सभी बेकार हो जायेंगे। सैफई के सर्किल रेट मिलने पर तथा प्रभावित परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी, स्थाई पुर्नवास तथा खेतों पर आवागमन तथा सिंचाई के समुचित प्रबंध किए जाएं। मांगे पूरी न होने पर सड़कों पर संघर्ष किया जायेगा।
एक्सप्रेस-वे के लिए भूमि अधिग्रहण में मुआवजे पर किए जा रहे भेदभाव पर किसानों ने सख्त रुख अपना लिया है। किसानों का कहना है कि सैफई के मुकाबले ताखा के किसानों को भूमि अधिग्रहण पर मुआवजा कम दिया जा रहा है। जबकि सैफई की जमीन से ताखा की जमीन अधिक उपजाऊ है। किसानों ने सवाल दागा कि क्या मुुख्यमंत्री का गांव होने की वजह से वहां के किसानों को लाभ दिया जा रहा है। किसानों के साथ यदि इस तरह का भेदभाव हुआ तो वे अपनी जमीन नहीं देंगे।
प्रवेश नियंत्रित एक्सप्रेस वे परियोजना के लिए इटावा जिले के सैफई और ताखा तहसील के किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है। ताखा क्षेत्र के किसानों का आरोप है कि सैफई तहसील की जमीन में एक दो फसले ही हो पाती हैं, जबकि ताखा तहसील की जमीन में किसान तीन फसल पैदा करते हैं। इसके बाद भी ताखा की जमीन और सैफई के सर्किल रेट में कई गुने का अंतर है। सैफई का सर्किल रेट प्रथम 1.25 करोड़ , द्वितीय 1.22 करोड़, सामान्य 1.20 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है, जबकि ताखा क्षेत्र के किसानों के साथ भेदभाव करते हुए सर्किल रेट प्रथम 20 लाख, द्वितीय 15 लाख और सामान्य का 10 लाख रुपये रखा गया है। ताखा क्षेत्र के सैकड़ों किसानों ने डीएम से मिलकर दुखड़ा रोया है। किसानों का कहना है कि कई किसानों के पास एक दो बीघा ही जमीन है। अभी वे इसमें मेहनत मजदूरी कर बच्चों का पेट पाल रहे हैं जमीन जाने के बाद भूखों मरने की स्थितियां पैदा हो जाएंगी।