दिनेश शाक्य
अवैध खनन पर रोक लगाने के उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के आदेशो को बलाये ताक मे रख कर इटावा मे यमुना नदी मे बडे पैमाने पर पुलिस और प्रशासनिक अफसरो की मिली भगत से अवैध बालू खनन किया जा रहा है।
दिन के उजाले मे तो बालू का खनन किया जा रहा है रात के अंधेरे मे भी बडे पैमाने पर बालू खनन को किया जा रहा है । एक नही करीब 300 से अधिक टैक्टरो के जरिये बालू खनन करके यमुना नदी के स्वरूप बिगाडा जा रहा है। यमुना नदी में अवैध खनन बेरोकटोक जारी है। सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्राली चोरी का रेत विभिन्न इलाकों में ले जा रहे हैं। इस गोरखधंधे को विभागीय व पुलिसिया संरक्षण भी खुले आम मिला हुआ है। तभी तो पुलिस और प्रशासनिक अफसरो इस बालू खनन पर चुप्पी साधे हुये है और यमुना नदी का सीना चीरने मे बालू माफिया युद्वस्तर पर लगे है। जिस जगह से यमुना नदी से बालू खनन किया जा रहा है उससे चंद कदम की दूरी पर यमुना तलहटी मे पुलिस चौकी बनी हुई है जहा पर करीब एक दर्जन से अधिक पुलिस वाले हमेशा तैनात रहते है जिनका काम इस इलाके मे होने वाले अवैध काम पर अकुंश लगाने का होता है लेकिन इस चौकी के पुलिस कर्मी इस अवैध खनन को मनमाफिक वसूली के जरिये को संरक्षण देकर यमुना का बरवाद करवाने मे जुटे हुये है।
सबसे हैरत की बात तो यह है कि इलाकाई पुलिस केवल उन्हीं ट्रैक्टर चालको के खिलाफ कार्रवाई करती है जो समय पर सुविधा शुल्क नहीं पहुंचाते। इसी कारण यमुना नदी की सीमावर्ती थानो को मलाईदार थाने मे गिना जाता है। गौरतलब है कि यह गोरखधंधा हाईकोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखाकर चल रहा है।
यमुना नदी में प्रतिबंध के बावजूद अवैध खनन बदस्तूर जारी है। यमुना में और यमुना के साथ लगते इलाकों में दिन ढलते ही बालू भरना शुरू हो जाता है। कोर्ट की रोक के बावजूद यमुना के साथ लगते इलाको में खनन का कार्य जोरो पर है। इन क्षेत्रों में खनन सरेआम देखा जा सकता है। जेसीबी मशीनों द्वारा टैक्टर ट्रालियो मे रेत भरी जा रही है। रात भर यहां पर अवैध खनन करने वालों का राज हो जाता है। जो कि पूरी रात यमुना में से बालू निकालते हैं और रात को ही इसे दूर दराज के इलाको मे भेज देते हैं। खनन होने के बाद माल लेकर अंधेरे-अंधेरे ही हजारों की तादाद में गाडिय़ां रवाना हो जाती है।
प्रशासन के लाख दावों के बावजूद यमुना नदी पार अवैध खनन रू कने का नाम नहीं ले रहा है। यमुना पार दिनरात यूपी के लोग घूमनपुरा घाट पर अवैध खनन करके सैकड़ों ट्रालिया रेत उठा रहे है। लेकिन, जिला प्रशासन व खनन विभाग के अधिकारी केवल जिले की सड़को पर दौड़ने वाले भारी वाहनों को ही खनन करने पर पक ड़ने का काम करने में लगे हुए है। यमुना नदी के दूसरे छोर पर खनन माफिया बिना किसी भय के अपनी कार्यवाही को अंजाम देने में लगा हुआ है।
गाव घूमनपुरा के कई लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पिछले काफी समय से रेत माफिया घूमनपुरा घाट पर रात के समय जेसीबी मशीनो से खनन करने का काम कर रहा है। खनन माफिया के लोग रात के समय वाहनों में रेत लोड करके उनके गाव से गुजरते है। प्रशासन के अधिकारी रात के समय घूमनपुरा घाट पर नहीं आते। काफी समय से रेत माफिया इस घाट पर खनन का कार्य कर रहा है। दिन के समय भी रेत माफिया खनन की कार्यवाही को अंजाम देता है। रोजाना इस घाट से रेत माफिया सौ से अधिक ट्रैक्टर ट्रालिया रेत लोड करके ले जाते है। माफिया रेत का खनन करते समय हथियारों से लैस होते है
कई ट्रैक्टरो को बालू का खनन करते हुये कैद करने मे कामयाबी पाई मौके पर किये जा रहे है बालू खनन के बारे मे पता चला है कि करीब 1 साल से यमुना नदी बालू खनन किया जा रहा है। ऐसा माना जाता है कि इलाकाई पुलिस की मिलीभगत के चलते यह सब खुलेआम किया जा रहा है इसी वजह से आज तक कोई भी अवैध बालू खनन का धंधा रोका नही जा सका है।
इन बालू खनन माफियाओ की हिम्मत तो देखिये कि इनसे कोई भी कुछ नही कह सकता है क्यो कि पुलिस और प्रशासनिक अफसरो का संरक्षण मिला हुआ है। इसी वजह से इन बालू माफियाओ का कुछ नही बिगड रहा है उधर अपर जिला अधिकारी बताते है कि मध्यप्रदेश से बालू इटावा लाई जाती है और इसी का फायदा उठा करके बालू माफिया यमुना नदी से बालू खनन कर लेते है।
इटावा जिले के शासन और प्रशासनिक विभाग की जानकारी में यमुना से बालू का हो रहा अवैध खनन, कई वर्षो से नहीं उठा खनन का ठेका, रात-दिन हो रही यमुना से वालू की निकासी, प्रतिदिन लाखों रूपये का हो रहा विभाग को राजस्व का नुकसान।
शासन-प्रशासन द्वारा किसी भी क्षेत्र में नियम कानून पर प्रतिबन्ध तो आये दिन लगाये जाते हैं लेकिन अब शासन के कुछ नुमाइंदे की शह पर कानून को ताक पर रखकर अवैध काम को अन्जाम दिया जाता है क्योंकि पैसे के लिये कुछ भी किया जा सकता है कई वर्षों से यमुना नदी में वालू की निकासी का ठेका नहीं उठा है उसके बावजूद चोरी छुपे पुलिस की मदद से इस अवैध खनन का कार्य लगातार जारी है यमुना तलहटी के ग्राम धूमनपुरा से जाने वाली सड़क आने व जाने वाले वालू के ट्रैक्टरो से लदी हुई देखी जा सकती है।
इसी गांव के कुछ स्थानीय लोग जो यमुना के किनारे अपनी खेतीवाड़ी से परिवार का भरण पोषण करते है उनका कहना है कि इस गांव में करीब दस ट्रैक्टर है जिनकी पुलिस से अच्छी खासी जान पहचान है उनकी ही मदद से रात दिन इस यमुना से वालू की निकासी का काम लगातार जारी है इसी गांव के राजवीर का कहना है कि कई बार हमने उन्हें मना किया, मगर निकासी करने वालों का कहना है कि हम लोगों के पास वालू निकासी का आर्डर है ।
उसका कहना है कि प्रतिदिन इस खनन से 100 से 300 ट्रैक्टर प्रतिदिन वालू की निकासी की जा रही है। प्रति ट्रैक्टर 300 रूपये पुलिस लेती है। इस खनन से प्रतिदिन विभाग को लाखों रू. का राजस्व को नुकसान हो रहा है। एक ट्रैक्टर करीब 2500 से 3500 तक का बिक जाता है।
अवैध बालू खनन के मामले को लेकर इटावा के अपर जिलाधिकारी महेंद्र सिंह का कहना है कि इटावा मे यमुना नदी से काई बालू खनन का ठेका नही है इसके बावजूद पडोसी राज्य मध्यप्रदेश से जो बालू कारोबारी बालू लेकर आते है वही अवैध तरीके से यमुना नदी से बालू की निकासी कर लेते है ऐसे कई बालू माफियाओ के वाहनो को बालू समेत जब्त किया गया है और उनसे खासी जुर्माने की रकम भी वसूली की गई है।
जब अपर जिलाधिकारी का ध्यान इस ओर खीचा गया कि बालू माफियाओ की स्थानीय पुलिस से मिली भगत है तो उनका जबाब गोलमोल ही था। अवैध बालू खनन का मामला जब जिलाधिकारी पी.गुरूप्रसाद के सामने रखा गया तो उन्होने सिर्फ इतना कह कर के पल्ला झाड लिया कि पूरे मामले की जांच गंभीरता से कराई जा रही है और जांच रिर्पोट के आते ही बालू माफियाओ के खिलाफ कार्यवाही तय की जायेगी लेकिन अवैध बालू खनन के बारे मे उनका चुप्पी साधना यह बताता है कि मामला कुछ ना कुछ तो है ही।
इटावा के एसएसपी राजेश मोदक भी बालू खनन के मामले पर चुप्पी साधने मे ही अपनी भलाई समझते है क्यो कि उनकी पुलिस पर खुलेआम इलाकाई पुलिस ने ना केवल आरोप लगाया बल्कि दावे के साथ बताया कि पुलिस बालू खनन करने वाले माफियाओ से मिली हुई है तभी तो उनको यमुना नदी मे हो रहे बालू खनन नजर नही आ रहा है फिर उनसे बालू खनन पर पुलिस के खिलाफ कार्यवाही करने से जुडे हुये सवाल पूछने का कोई मतलब ही नही रह जाता है। असल मे पुलिस भी पूरी तरह से प्रशासनिक रिर्पोट का इंतजार कर रही है जिसमे कहा गया है कि जिलाधिकारी स्तर पर जांच कराई जा रही है।
अवैध बालू खनन को लेकर पर्यावरीणीय संस्था सोसायटी फार कंजरवेशन आफ नेचर ने भी खासी नाराजगी जताई है समिति के सचिव डा.राजीव चौहानने कहा कि यमुना नदी मे खनन से जलीय जीव जंतुओ मे जैसे कछुओ का बहुत अधिक नुकसान होता है जब नदी मे पानी कम हो जाता है तो बीच मे आइलैंड बन जाने से कछुये अपने अंडे उन आइलैंड बने बालू मे अंडो को छुपा देते है और खनन से अंडे को नुकसान होता है जिससे उनकी जनसंख्या कम होनी शुरू हो जाती है।
बालू खनन के मामले पर जिस तरह की नजरंदाजी प्रशासनिक अमले की और से की जा रही है उसे देख करके यही कहा जा सकता है की बालू खनन मे कही ना कही प्रशासनिक मिली भगत की बू साफ नजर आ रही है