शुक्रवार, 8 जुलाई 2011

कैमरे मे कैद हुई सांपो की मौज मस्ती





दिनेश शाक्य
बरसात ऋतु में पड़ने वाले यह महीना रोमांटिक भी माना जाता है। यही वह मौसम है जिसमें कि तन के साथ-साथ मन-मस्तिष्क भी मस्ती में डूब जाता है। फिर भला मौसम की इस मस्ती से सरीसृप वर्ग के सांप इससे कैसे अछूते रह सकते हैं। जमीन में पानी भर जाने के बाद सांप जैसे कीट बाहर निकल आते हैं और मस्ती के आगे भूल जाते हैं सब कुछ।
इन दिनो खेत खलिहान के अलावा खुले मैदान मे तमाम किस्म के सांपो को नैस्टिंग डांस करते हुये देखा जा सकता है हाल के दिनो मे दो ऐसे सीन कैमरे मे कैद हुये है जो यह बताने के लिये काफी समझे जा सकते है कि सांप अब आदमी के सामने भी मौज मस्ती करने की कुब्बत रखते थे पहले कभी इन सांपो को ऐसी दशा मे देख पाना आसानी से संभव ही नही था।
उत्तर प्रदेश के इटावा मुख्यालय पर सांपो की इस मौज मस्ती को दो बार कैमरे मे कैद किया गया सबसे खास बात यह रही कि करीब एक सैकडा से अधिक लोगो के बीच यह सांपो का जोडा मौज मस्ती के दौर से दूर नही हुआ है। पहली बार यह सांप मुख्यालय से महज तकरीबन छः किमी दूर स्थित ग्राम सराय ऐशर के पास ईंटों की ढेर में से एक विशालकाय तकरीबन छः फुट लंबा नर-मादा सांप का एक जोड़ा निकला और मौसम की रुमानियत में बेसुध होकर प्रेमालाप में लीन हो गया। इसके बाद इटावा मे नुमाइश मैदान के पास भी ऐसा ही देखने मे लोग खासी तादात मे कामयाब हुये है। नुमाइश मैदान मे तो यह सांपो का जोडा करीब 30 मिनट तक आम लोगो की आंखो के सामने मौज मस्ती वाली मुद्रा मे बना रहा। नर एवं मादा सांप की इस क्रिया को नैस्टिंग डांस कहा जाता है। यह एक ऐसा नजारा था जो होता तो आम है परंतु आंखों से देख पाना आसान नहीं होता फिर सांपों की इस प्रक्रिया को तो कैमरे में कैद किया गया था।
सांपों के जीवन के बारे में यूं तो काफी किवदंतियां प्रचलित हैं। इसी में कहा जाता है कि नाग-नागिन को यदि इस अवस्था में देख लिया जाए तो नागिन उसे जिंदा नहीं छोड़ती है लेकिन यह अवधारणा गलत साबित हुई क्योंकि इस मंजर को दर्जनों लोग देख रहे थे। सांप इस कदर मस्ती में थे कि उन्हें लोगों के शोरगुल से भी कोई सरोकार नहीं रहा और तकरीबन 12 मिनट तक काम-क्रीड़ा के उपरांत नर एवं मादा सांप चुपचाप ईंटों के ढेर में जा कर गुम हो गए।
नैस्टिंग डांस में लीन सांपों के इस जोड़े के बारे में बताया जाता है कि बरसात के मौसम में पानी जब जमीन के अंदर जाने लगता है तो सांप खुद को बचाने के लिए जमीन के बाहर निकल आते हैं और उनका यही समय प्रजनन काल भी होता है। आम तौर पर मानवीय शोर शराबे की स्थिति में सांप खुद को छिपा लेते हैं परंतु विषेशज्ञों का मानना है कि यदि उनकी कामेच्छा चरम पर हो तो वह मानवीय शोरगुल की परवाह नहीं करते है। कुछ ऐसा ही इस नजारे में हुआ।
सांपों के बारे में इस दृश्य  ने यह भी सिद्ध कर दिया कि सांप फन उस वक्त फैलाता है जब वह गुस्से से भरा होता है परंतु यदि वह उन्मुक्त अवस्था में हो तो उसका फन नहीं निकलता है। सांपों के जोड़े के नैस्टिंग डांस के दौरान नर-मादा सांप जहां धरातल से तीन-तीन फुट उंचे भी उठे तो तमाम मर्तबा वो आपस में इस कदर लिपट-चिपट गए मानो मोटी रस्सी हो।
सांप को देखकर भले ही शरीर में सिहरन दौड़ पड़े परंतु यदि कोई ऐसा अद्भुत नजारा आंखों के सामने नजर आया तो लोग खुद का आत्मविश्वास भी बढ़ा लेते हैं। कुछ ऐसा ही नजर आया सांप के नैस्टिंग डांस के दौरान। सांप को देखकर जहां लोग भागने का मन बना रहे थे परंतु उनकी गतिविधियों से जब सांप की प्रक्रिया में कोई भी परिवर्तन नहीं हुआ तो यह नजारा देखने वालों की संख्या बढ़ती ही गई।

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